उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम 5 दिसम्बर को कानपुर जेल का औचक निरीक्षण पहुंची। यहां पर उन्होंने जिला कारागार में बंद महिला बंदियों से बैरक में मुलाकात की और हालचाल जाना। जेल में महिला बंदियों की व्यवस्थाओं को परखा। उन्हें खानपान के साथ ही साफ सफाई को लेकर निरीक्षण में बेहतर मिली।
उन्होंने बैरक में संख्या से दोगुनी महिला बंदियों के होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कानपुर जेल में 60 बंदियों की जगह है, लेकिन मौजूदा समय मे 98 बन्दी यहां हैं। इसको देखते हुए उन्होंने लखनऊ के नारी निकेतन में शिफ्ट करने की जेल प्रबंधन से कही बात, ताकि बंदियों को होने वाली परेशानी न होने पाए।
विमला बाथम ने जेल के निरीक्षण के पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि देश व यूपी में घट रही महिलाओं के साथ हैवानियत व हत्या की घटनाओं करने वाले विकृत मानसिकता के लोगों है। ऐसे लोगों के खिलाफ अधिकतम छह माह में सजा का दिए जाने का प्रावधान हो। सजा को लेकर संसद में भी कानून बनाना चाहिए। हालांकि निर्भया कांड के बाद से देश में कई कड़े कानून बने हैं, लेकिन अभी सजा में होने वाली देरी के चलते ऐसे लोगों में इस तरह की घटनाएं करने में डर नहीं दिखता है। अगर जल्द दोषियों को सजा हो जाए तो उनमें निश्चित ही भय पैदा होगा और ऐसी घटनाओं में कमी आएगी। बेटियों की सुरक्षा को लेकर महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा की मां बच्चों की प्रथम शिक्षक होती है इसलिए बेटा हो या बेटी दोनों की परवरिश में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। ज्यादातर होता है कि हम बेटे को पूरा स्वतंत्रता देते है, जबकि बेटियों के प्रति अभी भी हमें यह सोच बदलने की जरूरत है। इस तरह के अपराधों में समाज की जिम्मेदारी भी अहम होनी चाहिए ताकि महिलाएं सुरक्षित निकल सके।